Thursday, 13 December 2012

ज़िन्दगी का कोई और ही किनारा होगा


ज़िन्दगी का कोई और ही किनारा होगा





किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा 
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा 
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा 
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा 

काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को 
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा 
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं 
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा 


देखो ये अचानक ऊजाला हो चला, 
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा 
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया, 
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा 

कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे 
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा 
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है, 
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा 

ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम 
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा 
जानता हूँ अकेला हूँ फिलहाल 
पर उम्मीद है कि दूसरी ओर ज़िन्दगी का कोई और ही किनारा हो

No comments:

Post a Comment